ऋषि शरभंग के जाने के बाद, बाकी ऋषि राम के पास आए। यह ऋषि वेखन वलखिल्य जाती के थे और अलग अलग प्रकार से साधना करते थे। इनका राम से एक ही अनुरोध था कि वह उनकी राक्षसों से रक्षा करें। राम ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह अपने धर्म का पालन करते हुए उनकी मद्दद अवश्य करेंगे। ऐसा कह कर वह शरभंग के बताए हुए रास्ते पर ऋषि सुतीक्ष्ण से मिलने निकले। पर यह सब सुनकर सीता के मन में एक दुविधा उत्पन हुई। वह दुविधा क्या थी? उन्होंने अपनी शंकाओं को राम के सामने कैसे प्रस्तुत किया? और इससे हमें राम और सीता के चरित्र और संभंध के बारे में क्या सीख मिलती है, आइए जानतें हैं इस episode में।